Sandeep Maheshwari on Chanakya Neeti: “सीधा-सादा होना भी अच्छा नहीं है, सीधे वृक्ष पहले काट दिए जाते हैं और टेढ़े-मेढ़े बच जाते हैं।”

Sandeep Maheshwari on Chanakya Neeti: सीधे-सादे ना बनें, समझदारी से काम लें | Chanakya Neeti in Hindi

आचार्य Chanakya की Neeti आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी उनके काल में थी। उनका एक प्रसिद्ध कथन है:

“सीधा-सादा होना भी अच्छा नहीं है, सीधे वृक्ष पहले काट दिए जाते हैं और टेढ़े-मेढ़े बच जाते हैं।”

यहाँ “सीधा-सादा” होने का अर्थ बेईमान होना नहीं है, बल्कि यह उस व्यक्ति की ओर इशारा करता है जो बेवकूफी में खुद को नुकसान पहुँचा बैठता है। चाणक्य के अनुसार, अगर कोई सामने वाला व्यक्ति चोर है तो उसके साथ मिलकर चोर बनने की बात नहीं है, बल्कि यह सीखने की बात है कि इतने भोले न बनें कि कोई भी आपको आसानी से धोखा दे सके। चाणक्य के इस कथन का गहरा आशय है कि यदि आप परिस्थितियों के अनुसार अपने आप को नहीं ढालते और अपने विवेक का उपयोग नहीं करते, तो आप उस जानवर जैसे हैं जिसे कोई भी अपने अनुसार इस्तेमाल कर सकता है।


Kautilya Ki Soch: समझदार बनो, बेवकूफ नहीं | Lessons from Chanakya

चाणक्य एक और कोटेशन में कहते हैं:

“जो तुम्हारी बात सुनते हुए इधर-उधर देखें, उस पर कभी विश्वास मत करो।”

यह वाक्य दिखाता है कि केवल सुनना ही काफी नहीं होता, सामने वाले की intention को समझना भी जरूरी है। Kautilya की सोच यह थी कि यदि आप केवल अपने “बेसिक” स्तर पर सोचते हैं, तो आपको कोई भी अपने अनुसार मैनिपुलेट कर सकता है। चाणक्य नीति में बेवकूफी का अर्थ है: अपनी गलतियों से न सीखना, या एक ही गलती को बार-बार दोहराना। जबकि समझदारी का अर्थ है: अपनी और दूसरों की गलतियों से सीखना।


डर पर विजय और सही दिशा में अकेले चलना | Chanakya Neeti Motivation

“भय को नजदीक न आने दो, और यदि आ जाए तो उस पर हमला कर दो।”
यह Chanakya Niti मनोवैज्ञानिक डर से निपटने की प्रेरणा देती है। जैसे, यदि पानी से डर लगता है तो गहरे पानी में कूदने की बजाय, धीरे-धीरे छोटे कदम लेकर उस डर का सामना करें। यह केवल डर से निपटने की रणनीति नहीं, बल्कि पूरी जिंदगी को बेहतर करने का रास्ता है। चाणक्य आगे कहते हैं:

“गलत दिशा में बढ़ रही भीड़ का हिस्सा बनने से बेहतर है सही दिशा में अकेले चलो।”

भीड़ हमेशा सुरक्षित लगती है लेकिन वह हमें आम बना देती है। यदि आप कुछ extraordinary करना चाहते हैं तो भीड़ से अलग होना ही पड़ेगा। सही दिशा वह है जहां डिमांड अधिक हो और सप्लाई कम, जबकि गलत दिशा वह है जहां सब भाग रहे हैं लेकिन अवसर नहीं है। Kautilya का यह विचार कि ग्रोथ भीड़ के साथ नहीं, बल्कि अलग चलने से आती है — आज के समय में भी सटीक बैठता है।

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